चराग़ जल उठे

वो सेमीनार का तीसरा दिन था। तीन दिन कैसे गुज़र गये पता ही नहीं चला। उस शहर का यह पहला दौरा था, इसलिए सेमीनार के अलावा लोगों से मिलना और घूमना-फिरना भी होता रहा। दोनों दिन हर शाम साइड सीन में शहर […]

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दिल का रास्ता

‘तुम्हारी पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत हैं।’ ‘क्या बकवास है।’ ‘क्यों क्या तुम्हें अपनी पिंडलियों की तारीफ सुनना पसंद नहीं।’ ‘अजीब आदमी हो। इतने साल से साथ हो, तुमने कभी मेरे चेहरे की तारीफ नहीं की और अब तुम्हें पिंडलियों की तारीफ सूझी है।’ […]

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वफ़ा…बस थोड़ी सी

सुबह होने में अभी कुछ देर है। रात का आखिरी पहर है। पहाड़ी रास्ते पर एक जीप टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुज़र रही है। दो प्राणी उसमें बड़े ही शांत बैठे हैं। आवाज़ या तो सड़क के किनारे झाड़ियों की सरसराहट की […]

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